Wednesday, December 14, 2016

मुक्तबाजार: गुलामी का रंगीन फंदा-1

पहले गरीबी ढूंढो. न मिले तो जमीन में रोपो, पैदा करो. रुको पहले मुल्क में थोडा अशांति रोपो... जाती, धर्म, क्षेत्र किसी भी नाम पर. लोग फिर भी न माने तो अपने इतने NGO और फाउंडेशन किस लिए हैं इन्हें लगाओ... फुटकर जन कल्याण करते करते कुछ लोगों को पटायें किसी भी आधार पर गुटबंदी को किकस्टार्ट कराएं.

अमरीका का बस चले तो दुनिया में कोई गरीब न रहे, वह सब देशों में फ्लाईओवर, शौपिंग माल, चकाचक रेलें, लम्बी कारें, हर आदमी को उपलब्ध करा दे, फिर चाहे यह किरपा झेलने की लोगों में सामर्थ्य और इस धरती पर जगह हो या नहीं. आखिर भीषण किस्म से दयालु अमरीका करे तो क्या करे? दिल से मजबूर है !
जब कोई गरीब भूखा सोता है तो अमरीका का दिल रोता है, और जब रोते-रोते थक जाता है तो वह उठकर उस देश को कर्ज दे देता है और जो कर्ज लेने से इनकार कर दे, उस पर बम गिरा देता है.
सीआईए तो यूँ ही दुनिया के मोहल्ले में बदनाम घर के लड़के का नाम है, असली काम NSA अंजाम देता है. शीर्ष के शिक्षा संस्थानों से प्रतिभावान, जवान और महत्वकांक्षी लोगों को चुन कर, उनमें से भी सर्वोत्तम लोगों को अपने विशेष अभियान में भरती करता है. क्या है ये अभियान? बताते हैं, थोडा रुकिए.
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एक आईटम होता है --आतंकवाद! पर ये कहाँ से आता है भाई? काहे को कोई भी किसान या कारीगर का अधपढ़ छोरा कुछ सनकी और विक्षिप्त लोगों का साथ देना क़ुबूल कर लेता है बजाय देश के कानून का साथ देने के? और उन सनकी और विक्षिप्त लोगों को देश की सरकारें और सनसनी मीडिया फर्म्स लम्बे समय तक जिलाए रख कर क्यों हीरो बनती हैं भाई? मीडिया फर्म्स मैंने इसलिए कहा कि वे फर्म्स ही हैं, सामाजिक जिम्मेदारी मुक्त, मुनाफा केन्द्रित, नए महत्वकांक्षी और स्पर्धाप्रिय शिक्षित दिमागों का जूस निकाल कर उन्हें वेजिटेबल बनाने वाली चक्कियां!
बिजनेस है भाई! पेट का सवाल है. गरीबी मिटानी है दुनिया की... सबको डेमोक्रेसी देनी है अपनी वाली.
अकेले अमरीका के पास इतनी डेमोक्रेसी है की पूरी दुनिया को उसमें चार बार लपेट दे तभी एक थान बची रह जाय.
अब चक्कर ये है कि गरीबी मिटे कैसे ? तो ऐसा करो कि पहले गरीबी ढूंढो. न मिले तो जमीन में रोपो, पैदा करो.
रुको पहले मुल्क में थोडा अशांति रोपो... जाती, धर्म, क्षेत्र किसी भी नाम पर. लोग फिर भी न माने तो अपने इतने NGO और फाउंडेशन किस लिए हैं इन्हें लगाओ... फुटकर जन कल्याण करते करते कुछ लोगों को पटायें किसी भी आधार पर गुटबंदी को किकस्टार्ट कराएं.
“अशान्ति होगी तो अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी, घाटा होगा तो कर्ज भी होगा और फिर तुरंत हम कल्याण करने पहुँच जायेंगे. ...........लेकिन देखो यार फर्स्ट थिंग फर्स्ट .....पहले थोड़ी सी अशांति... अरे बस जरा सा ! अरे लो रखो तो... शुरू तो करो ... यार गजब नेता हो... अरे कुछ बनाओ तुम भी ! ऐसे बैठे बैठे पागुर करते रहोगे ??”
NSA के चुनिन्दा दिमाग कांटेक्ट और फैसिलिटी के नाम पर कानूनी ढंग से देशों में बसाये जाते हैं दस-बीस साल के असाइनमेंट पर, उनका काम स्थानीय जमीन को अशांति के लिए तैयार करना और सरकारों में लोबीईंग के माध्यम से ऐसे निर्णय करवाना होता है जो अमरीकी कोर्पोरेशनस को वहां सबने और फैलने का मौका दिलवाएं.
यदि यह काम जन संपर्क से न हुआ तो लॉन्गटर्म कार्यक्रम है ही ! अशांति की खेती शुरू कर देंगे.
चिली, अलसल्वाडोर, पेरू, ब्राज़ील में एक एक कर यही सब हुआ! एक एक करके सबकी गरीबी मिटा दी गयी, और आज वह कोई भी भूखा, नंगा या उदास नहीं है..... भारत में भी कार्यक्रम चलाया जा रहा है, यहाँ भी खुशहाली जल्दी आएगी.

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