उस दिनअमेरिका ने आशीर्वाद वाली मुद्रा में मुझसे कहा था--
“प्यारे जिगर के टुकड़ों पस्त नहीं मस्त रहो, हम और हमारे बंटाईदार लगे हुए हैं तुम्हारी खिदमत में !”
फिर उसने आखिरी बात जोड़ी--
“वैसे तुम्हारी पस्ती में ही मस्ती और मस्ती में ही पस्ती है.
तुम्हारी मस्ती और पस्ती आपस मिलकर एकमेक हो गए है,
जैसे आत्मा परमात्मा में मिलती है.
सही पूछो तो जीने का मजा ही पस्त होकर मस्त होने में है !”
अमरीका के इस आखिरी वक्तव्य से मुझे सच्चे ज्ञान की बू आने लगी तो मैं अलर्ट हुआ. मुझे अपने जम्बूद्वीप के वाल्मीकि बाबू का जीवन याद आया, जो पहले तो डकैत थे और बाद में चल कर साधू हुए और उसके बाद एक मरती हुयी चिड़िया देख कर पंडित भी हो गए! खैर, मैं पिंड छुडाने की गरज से वहां से खिसक लिया.
“प्यारे जिगर के टुकड़ों पस्त नहीं मस्त रहो, हम और हमारे बंटाईदार लगे हुए हैं तुम्हारी खिदमत में !”
फिर उसने आखिरी बात जोड़ी--
“वैसे तुम्हारी पस्ती में ही मस्ती और मस्ती में ही पस्ती है.
तुम्हारी मस्ती और पस्ती आपस मिलकर एकमेक हो गए है,
जैसे आत्मा परमात्मा में मिलती है.
सही पूछो तो जीने का मजा ही पस्त होकर मस्त होने में है !”
अमरीका के इस आखिरी वक्तव्य से मुझे सच्चे ज्ञान की बू आने लगी तो मैं अलर्ट हुआ. मुझे अपने जम्बूद्वीप के वाल्मीकि बाबू का जीवन याद आया, जो पहले तो डकैत थे और बाद में चल कर साधू हुए और उसके बाद एक मरती हुयी चिड़िया देख कर पंडित भी हो गए! खैर, मैं पिंड छुडाने की गरज से वहां से खिसक लिया.
मेरा क्या है कि मैं शुद्ध शाकाहारी कसाई हूँ जो सोमवार से शुक्रवार तक रोज अपनी दूकान पर बैठ कर झटके से भेड़ें काटता है और उन्हें हलाल मानकर हजम कर लेता है! स्टॉक ट्रेड एक ऐसी ही दुनिया है जहाँ न कुछ बनता है, न बिकता है. यह नव पूँजीवाद के दौर का हवा बेचने, हवा ही खरीदने, सीमित पूँजी के साथ असीमित लालच, उसी अनुपात की हिम्मत और डर लेकर टहल रहे लोगों की पूँजी छीन कर उन्हें दिगंबर कर देने का उपक्रम है. कुल मिलाकर भोले भाले लोगों की मानवीय कमजोरियों को माध्यम बनाकर उनका शिकार करने की बड़ी आराम दायक शिकारगाह! चूँकि अमरीका को शिकार बहुत पसंद है इसीलिए मेरा उससे भाईचारा भी बनता है, वह रिश्ते में में मेरा बड़ा भाई है.
तो मेरे इसी बड़े भाई के यहाँ एक बहुत बड़ा बुद्धिजीवी पैदा हुआ, नाम था मिल्टन फ्रीडमैन. यह शिकागो विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढाता था. जमाना था द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद का, जब बाजार में मंदी आई थी लोगों के पास न काम था, न पैसा.
यहाँ एक बात और बता दूँ कि मंदी उस दौर को कहते है जब समाज में किसी बड़ी अस्वाभाविक घटना की वजह से अचानक या फिर किसी ख़राब व्यवस्था के चलते जनता की जेब का सारा पैसा खिंच कर कुछ इने गिने लोगों के पास कम हो जाये नतीजतन जनता के पास कुछ और खरीदने सकने की शक्ति न रह जाये. ऐसी हालत में जनता चाहे अपना काम चला भी ले लेकिन बाजार के शिकारी चिंतित हो जाते हैं, और अपने पास के पैसे को कर्ज के रूप में बांटना शुरू कर देते हैं, की भाई लो हमसे लो, दबा कर खर्च करो, बाद में दे देना.
तो मिल्टन फ्रीडमैन था बड़ा बुद्धिजीवी! बुद्धिजीवी दरअसल हमारी आप की ही तरह आहार, निद्रा, भय और मैथुन के सहारे जीने वाला एक जोड़ी टांग, हाथ, आँख, कान वाला ही इंसान होता है जिसको यह साबित करना होता है कि वह एक अजूबा है! वह कुछ ऐसा कह या कर सकता है जो हम आप नहीं कर सकते. अपने को अजूबा साबित करने के हल्ले में वह जनता के सामाजिक अनुभवों और तमाम पुराने व्यवहारिक सिद्धांतों को घोंटता-पीसता, कपडछान करता रहता है. अब चूँकि वह कोई और जीवनोपयोगी उत्पादन नहीं करता तो ऐसे में उसका खर्चा सरकार या तो फिर मोटी थैली वाला कोई शिकारी-व्यापारी उठाता है.
तो मिल्टन फ्रीडमैन बड़ा बुद्धिजीवी तो था लेकिन यह उसको उतने ही बड़े ढंग से साबित भी करना ही था! इसके लिए उसने एक समाज विज्ञान के सिद्धांत को पकड़ कर अपने पूर्ववर्ती और अर्थशास्त्री आडम स्मिथ के थैले में ठूंस दिया और कहीं सिद्धांत बाहर न आ जाए इसके लिए ऊपर से जम कर सुतली लपेट दी. उसकी इस कसरत का खर्चा शिकागो विश्वविद्यालय तो उठा ही रहा था साथ में द्वितीय विश्वयुद्ध में मोटा मुनाफा काट चुके व्यापारियों ने भी उसके लिए तगड़ी व्यवस्था की और यूरोप (आस्ट्रिया) के फ्रेडेरिक वोन हायक के साथ उसे मिलाया, एक सोसाईटी बनायी जिसका काम था आदम स्मिथ के सिद्धांतों को डबल फ्राई करके सरकारों को खिलाना! (देखिये--मोंट पेलेरिन के रोबोट्स)
दरअसल रूजवेल्ट का लोगों को भारी मात्रा में सरकारी नौकरियों पर लोगों रखना बाजार के शिकारियों को खल रहा था, क्योंकि इससे कालांतर में जाकर पब्लिक सेक्टर को मजबूत होना था, जिसको कमजोर करने का सगठित प्रयास वे पिछले तीस-चालीस साल से कर रहे थे. उन्हें फ़ेडरल रिज़र्व बिल और फ्रैक्शनल बैंकिंग के बहाने सरकार को कब्जे में लेने के लिए किये गए प्रयासों पर पानी फिरता नजर आया. इसलिए उन्होंने फ्रीडमैन को आगे करके रूजवेल्ट के प्रयास के विरुद्ध अभियान चलाया.
और फिर फ्रीडमैन ने एडम स्मिथ के क्लास्सिकल पूंजीवाद के सिद्धांतों को डबल फ्राई करके सुतली बम बनाया और रूजवेल्ट के खिलाफ दागना शुरू कर दिया ....
No comments:
Post a Comment