शिव ने पार्वती से पूछा- "प्रिये ये मुझको सात पुश्तों का राशन भक्त आज ही क्यों सप्लाई करने पर तुले हैं ?
पार्वती ने शंका निवारण किया- “मनुष्य आपको अर्जेंटली सेट करना चाहता है देव! इन सबके पास अपना कोई न कोई “कारज” है जो कि हमेशा बिगड़ा हुआ रहता है, उसे ये आपसे ठीक करना चाहते हैं. संक्षेप में ये आपको “कारज” का मेकेनिक मानते हैं.
लेकिन पार्वती मैंने ये क्षमताएं प्राप्त करने के लिए वर्षों तक बहुत साधना की है ...मनुष्य लोग मुझसे ये क्यों नहीं सीखते?
उनके पास टाइम नहीं है देव! बिजी लोग हैं, व्यापारी हैं मुनाफा समझते हैं, आपकी तरह फालतू नहीं हैं कि सीखने समझने में लगे रहे..... और आप भी जब पाव भर धतूरे में मान जाते हो तो कोई क्यों ज्यादा इन्वेस्ट करे.
अरे मानता कहाँ हूँ प्रिये ! वही धतूरा वापस कर देता हूँ सबको, देखती नहीं सब के सब वही तो खाए बौराए पड़े हैं.... मुझसे नजरें हटा कर जरा भारत भूमि को देखो तो !
पार्वती ने शंका निवारण किया- “मनुष्य आपको अर्जेंटली सेट करना चाहता है देव! इन सबके पास अपना कोई न कोई “कारज” है जो कि हमेशा बिगड़ा हुआ रहता है, उसे ये आपसे ठीक करना चाहते हैं. संक्षेप में ये आपको “कारज” का मेकेनिक मानते हैं.
लेकिन पार्वती मैंने ये क्षमताएं प्राप्त करने के लिए वर्षों तक बहुत साधना की है ...मनुष्य लोग मुझसे ये क्यों नहीं सीखते?
उनके पास टाइम नहीं है देव! बिजी लोग हैं, व्यापारी हैं मुनाफा समझते हैं, आपकी तरह फालतू नहीं हैं कि सीखने समझने में लगे रहे..... और आप भी जब पाव भर धतूरे में मान जाते हो तो कोई क्यों ज्यादा इन्वेस्ट करे.
अरे मानता कहाँ हूँ प्रिये ! वही धतूरा वापस कर देता हूँ सबको, देखती नहीं सब के सब वही तो खाए बौराए पड़े हैं.... मुझसे नजरें हटा कर जरा भारत भूमि को देखो तो !
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